शब्द का अर्थ
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धारा :
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स्त्री० [सं०√धृ+णिच्+अङ—टाप्] १. पानी या किसी तरल पदार्थ की तेज और लगातार बहनेवाली धार। तरल पदार्थ का एक रेखा में निरंतर चलता रहनेवाला क्रम। जैसे—नदी की धारा। रक्त की धारा। २. पानी या तरल पदार्थ का रेखा के रूप में ऊपर से निरंतर गिरता रहनेवाला क्रम। जैसे—बादलों में धारा के रूप में जल बरस रहा था। ३. लाक्षणिक रूप में, किसी चीज या बाह्यत का निरंतर चलने वाला क्रम। ४. किसी का निरंतर प्रवाह या स्रोत। जैसे—विद्युत की धारा। ५. पानी का झरना। सोता। चश्मा। ६. घड़े आदि में पानी गिरने के लिए बनाया हुआ छेद। ७. किसी चीज की किनारा या छोर। ८. हथियार की धार। बाढ़। ९. शब्दों की पंक्ति। वाक्यावली। १॰..बहुत जोरों से होने वाली वर्षा। ११. झुंड। दल। समूह। १ २. सेना का अगला भाग। १३. औलाद। संतान। १४. उत्कर्ष। उन्नति। तरक्की। १५. रथ का पहिया। १६. कीर्ति। यश। १७. मध्य भारत की एक प्रचीन नगरी जो मालवा की राजधानी थी। १८. महाभारत के अनुसार एक प्राचीन तीर्थ। १९ .रेखा। लकीर। २॰. पहाड़ की चोटी। २१. घोड़े की गति या चाल। २२. आज-कल किसी नियम, नियमावली, विद्यान आदि का वह स्वतंत्र अंश जिसमें किसी एक विषय से संबंध रखने वाली सब बातों का एक अनुच्छेद में उल्लेख होता है और जिससे पहले क्रमात् संख्या-सूचक अंक लगे होते हैं। दफा। (सेक्शन) जैसे—भारतीय संविधान की १ ४४वीं धारा। |
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धारा-कदंब :
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पुं० [मध्य० स०] एक प्रकार का कदम का पेड़। |
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धारा-ग्रह :
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पुं० [मध्य० स०] १. प्रासाद या महल का वह कमरा जिसमें राज-परिवार के लोगों के नहाने के लिए फुहारे आदि लगे रहते थे। २. स्नानागार। |
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धारा-धर :
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पुं० [ष० त०] १. धाराओं को धारण करने वाला, बादल। २. तलवार। |
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धारा-पूप :
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पुं० [धारा-अपूप मध्य० स०] दूध में सने हुए मैदे का बना हुआ पूआ। |
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धारा-प्रवाह :
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पुं० [ष० त०] धारा का बहाव। धारा का वेग। क्रि० वि० नदी आदि की धारा के प्रवाह के रूप में या उसकी तरह। निरंतर तथा अटूट क्रम से। जैसे—वे संस्कृत में धारा-प्रवाह भाषण करते थे। |
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धारा-फल :
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पुं० [ब० स०] मदनवृक्ष। मैनफल वृक्ष। |
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धारा-यंत्र :
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पुं० [ष० त०] वह यंत्र जिसमें धारा के रूप में जल निकले। जैसे—पिचकारी, फुहारा। |
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धारा-वर्ष :
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पुं० [तृ० त०] धारा के रूप में होनेवाली बहुत तेज वर्षा। |
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धारा-विष :
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पुं० [ब० स०] खड्ग्। तलवार। |
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धारा-संपात :
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पुं० [ब० स०] बहुत तेज और अधिक दृष्टि। जोरों की बारिश। |
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धारा-सभा :
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स्त्री० [ष० त० ?] आधुनिक लोक-तंत्री शासन में, प्रजा के प्रतिनिधियों की वह सभा जो विधान आदि बनाती है। विधान-सभा। विधायिका। |
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धारा-स्नुही :
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स्त्री० [सं० मध्य० स०] तिधारा थूहर। |
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धारांकुर :
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पुं० [सं० धारा-अंकुर ष० त०] १. सरल का गोंद। २. आकाश से गिरनेवाला ओला। घनोपल। |
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धारांग :
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पुं० [सं० धारा-अंग ब० स०] १. एक प्राचीन तीर्थ का नाम। २. खड्ग। |
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धाराग्र :
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पुं० [सं० धार-अग्र ष० त०] तीर या बाण का आगेवाला चौड़ा सिरा। |
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धाराट :
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पुं० [सं० धारा√अट् (गति)+अच्] १. चातक पक्षी। २. बागल मेघ। ३. चौड़ा। ४. मस्त हाथी। |
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धाराल :
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वि० [सं० धारा+लच्] (अस्त्र) जिसकी धार चौखी या तेज हो। |
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धाराली :
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स्त्री० [सं० धाराल] १. तलवार। २. कटार। (ङिं०) |
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धारावनि :
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पुं० [सं० धारा-अवनिः ष० त०] वायु। हवा। |
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धारावर :
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पुं० [सं० धारा√वृ (आच्छादन)+अचम] मेघ। बादल। |
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धारावाहिक :
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वि० [सं० धारावाहिन्+कन्] १. जिसका क्रम धारा की तरह निरंतर चलता रहे। २. (पत्र, पत्रिकाओं आदि में प्रकाशित होने वाला लेख) जो क्रमशः खंडों के रूप में बराबर कई अंशों में प्रकाशित होता रहे। |
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धारावाही (हिन्) :
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वि० [सं० धारा√वह (बहना)+णिनि]= धारा-वाहिक। |
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धारासार :
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वि० [धारा-आसार ष० त०] धारा के रूप में लगातार होता रहने वाला। जैसे—धारासार वर्षा। |
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